काजर की कोठरी--आचार्य देवकीनंदन खत्री

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काजर की कोठरी : खंड-5 रात दो घंटे से कुछ ज्यादे जा चुकी है। लालसिंह अपने कमरे में अकेला बैठा कुछ सोच रहा है। सामने एक मोमी शमादान जल रहा है ...

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